2025 Vishwakarma Puja: विश्वकर्मा पूजा का हिन्दू में बड़ा महत्व है। यह दिन पवित्र बढ़ई और दुनिया के शिल्पकार भगवान विश्वकर्मा के सम्मान में मनाया जाता है। इस दिन ये लोग भगवान विश्वकर्मा से अपने-अपने कार्य क्षेत्र में प्रगति और अपनी मशीनरी को सुचारूप से कार्य करने की प्रार्थना करते हैं। ऐसी मान्यता है कि अगर पूरे विधि-विधान के साथ भगवान विश्वकर्मा की पूजा- अर्चना की जाए तो जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। और व्यापार में आने वाली सभी अड़चने(कठिनाई) दूर होकर घर धन-संपदा से भरने लगता है।
शास्त्रो में भगवान विश्वकर्मा जी को सृष्टि के रचयिता और भगवान ब्रह्मा जी का सातवां पुत्र माना जाता है। भगवान विश्वकर्मा सृजन के देवता है। ऐसी मान्यता है कि यदि संपूर्ण पृथ्वी पर जीवन के संचालन के लिए जो भी चीजें मौजूद है। वह भगवान विश्वकर्मा की देन है। अगर उन्हें दुनिया का पहले शिल्पकार, वास्तुकार या इंजीनियर कहें तो गलत नहीं होगा। हिंदी पंचांग के अनुसार हर साल 17 सितंबर को कन्या संक्रांति के दिन विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती है। अब आईये जानते है विश्वकर्मा जयंती के दिन क्या करना चाहिए क्या नही करना चाहिए।
विश्वकर्मा जयंती के दिन क्या करें क्या नही ?
▪️विश्वकर्मा जयंती के दिन भगवान विश्वकर्मा के साथ श्रीहरि विष्णुजी की पूजा-आराधना करना न भूलें। और विश्वकर्मा पूजा के दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना भी शुभ माना गया है।
▪️विश्वकर्मा जयंती के दिन भूलकर भी काम मे आने वाले औजारों का प्रयोग नही करना चाहिए। बल्कि इन औजारों की अच्छे से साफ सफाई करके उनकी पूजा करनी चाहिए।
▪️विश्वकर्मा जयंती के दिन किसी भी गरीब व्यक्ति या जरूरत मंद ब्राम्हण अपने सामर्थ्य के अनुसार दान दक्षिणा देना चाहिए।
▪️विश्वकर्मा पूजा के दिन काम मे आने वाली किसी भी प्रकार की मशीन साइकिल मोटर गाड़ी आदि का प्रयोग करते है तो इस दिन इन वस्तुओं का इस्तेमाल ना करें। बल्कि इनकी साफ सफाई करके पूजा करे।
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▪️विश्वकर्मा पूजा के दिन तामसिक चीजो का सेवन नही करना चाहिए जैसे भूलकर भी मांस और मदिरा का सेवन ना करें।
▪️विश्वकर्मा पूजा के दिन भुलकर भी किसी को अपशब्द ना बोले बल्कि उनका सम्मान करें।
▪️यदि आप व्यापारी है तो अपने व्यापार की वृद्धि के लिए विश्वकर्मा पूजा के दिन किसी निर्धन व्यक्ति और ब्राह्मण को दान अवश्य करना चाहिए।
विश्वकर्मा पूजा विधि Vishwakarma Puja Vidhi
विश्वकर्मा जयंती के दिन सुबह स्नान करें और खुद को शुद्ध करें। सभी मशीनों और उपकरणों को साफ करके सभी मशीनों की पूरे विधि-विधान से पूजा करें। पूजा के दौरान भगवान विष्णु और भगवान विश्वकर्मा दोनों की मूर्ति या फ़ोटो को पूजा स्थल पर स्थापित करे। इसके बाद फिर दोनों भगवानों को कुमकुम, अक्षत, गुलाल, हल्दी, फूल, फल, मेवे और मिठाई आदि अर्पित करें। और सजावट के लिए आटे की रंगोली बनाएं और उस पर सात तरह के अनाज जरूर रखें। इसके अलावा, एक कलश में जल भरकर पूजा के दौरान अपने पास रखें। इसके बाद भगवान विश्वकर्मा जी के साथ भगवान विष्णु जी को अगरबत्ती जलाते हुए दोनों भगवानों की आरती करें। और विश्वकर्मा की पूजा के दौरान मंत्रों का जाप करे।
विश्वकर्मा स्तुति मंत्र
नमस्ते विश्वकर्माय, त्वमेव कर्तृता सदा। शिल्पं विधाय सर्वत्र, त्वं विश्वेशो नमो नमः।।
विश्वकर्मा पूजा मंत्र
ॐ आधार शक्तपे नमः। ॐ कूमयि नमः। ॐ अनंतम नमः। ॐ पृथिव्यै नमः। ॐ विश्वकर्मणे नमः।।