Gangaur 2025: कब है गणगौर 2025 में, जाने पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और नियम

गणगौर का महत्व

Gangaur 2025: हिंदी पंचांग के अनुसार हर साल चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को गणगौर पूजा मनाया जाता है। गड़गौर पूजा को गौरी तीज या गौरी तृतीया के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपनी पति की लम्बी आयु और उनकी कुशलता और सुखद वैवाहिक जीवन के लिए भगवान शिव और माता पार्वती से प्रार्थना करती हैं। तो वही कुंवारी लडकिया भी माता पार्वती से अपने लिए सुयोग्य वर की कामना के प्रार्थना करतीं हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गणगौर पूजा को करने से सुख शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। गणगौर पूजा करते समय व्रती महिलाएं दूब से पानी के छीटे देते हुए गोर गोर गोमती गीत गाती हैं।

ऐसी मान्यता है कि माता पार्वती जी ने गणगौर पूजा करके भगवान शिव जी को पति के रूप में प्राप्त किया था। तभी से इस व्रत को करने की प्रथा शुरू हुई थी। गणगौर पूजा सभी जातियों के लिए वरदान माना जाता है। गणगौर पूजा के दौरान सभी महिलाएं सुंदर वस्त्र पहनकर सिर पर घड़ा या जल से भरा हुआ लोटा लेकर उसने हरि दुभ और फूल को डालकर गणगौर की गीत गाती बजाती हुई घर आती है। और मिट्टी की शिव और पार्वती की प्रतिमा अपने हाथों से बनाती है। और माता गौरी को सुंदर वस्त्र पहनाकर सम्पूर्ण सुहाग की सामग्री अर्पित करती है।

आइए जानते है साल 2025 में गणगौर पूजा कब मनाया जाएगा ? 31 मार्च या 01 अप्रैल, जानिए पूजा की शिंतिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, और सम्पूर्ण पूजा सामग्री क्या है ?

गणगौर पूजा सामग्री

Gangaur Puja Samagri 2025: गणगौर पूजा करते समय इन पूजा सामग्री का होना जरूरी होता है।

जैसे – आसन, कलश, काली मिट्टी, अक्षत, ताजे फूल, आम की पत्ती, नारियल, सुपारी, पानी से भरा हुआ कलश, गणगौर के कपड़े, गेंहू, बांस की टोकरी, चुनरी, हलवा, सुहाग का सामान, कौड़ी, सिक्के, घेवर , चांदी की अंगुठी, पूड़ी, होलिका की राख, गोबर या फिर मिट्टी के उपले, शृंगार का सामान, शुद्ध घी, दीपक, गमले, कुमकुम आदि। यब सभी वस्तुएं पूजा में जरूर रखनी चाहिए।

गणगौर पूजा विधि

Gangaur Puja Vidhi 2025: गणगौर व्रत के लिए कृष्ण पक्ष की एकादशी को महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद नये वस्त्र पहनती है। और लकड़ी की बनी टोकरी में जवार बोती है। गणगौर व्रत में व्रती महिला को केवल एक समय भोजन करना चाहिए। इसके बाद माता गौरी को सभी श्रृंगार का सामान अर्पित करना चाहिए। इसके बाद माता पार्वती को चंदन, अक्षत, धूप-दीप आदि अर्पित करना चाहिए। इसके बाद माता गौरी को भोग लगाना चाहिए। भोग लगाने के बाग गणगौर व्रत की कथा सुनती है या कथा पढ़ती है।

भोग लगाने के बाद माता गौरी को चढ़ाए गए सिंदूर से सुहाग लेती है। और फिर चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को माता गौरी को किसी तालाब या नदी, सरोवर में ले जाकर स्नान कराती है। इसके बाद चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को माता गौरी और भगवान शिव जी को स्नान कराती है। और फिर इस दिन शाम को गाजे-बाजे के साथ गौरी-शिव को नदी या तालाब में लेजाकर विसर्जित करती है। इसके बाद अपना व्रत उपवास खोलती है।

गणगौर पूजा में ध्यान रखे ये खास बातें

धार्मिक मान्यता के अनुसार गणगौर पूजा पति से छुपाकर की जाती है। ऐसी मान्यता है कि यह पूजा पति से छुपाकर करने से ही व्रत सफल माना जाता है। और नाही गणगौर पूजा का प्रसाद पति को दिया जाता है।

गणगौर पूजा 2025 शुभ मुहूर्त

Gangaur Puja 2025 Date Time Muhurat: आप को बतादे की साल 2025 में गणगौर पूजा 31 मार्च दिन सोमवार को मनाया जाएगा।

तृतीया तिथि प्रारम्भ होगी – 31 मार्च 2025 को सुबह 09 बजकर 11 मिनट पर
तृतीया तिथि समाप्त होगी – 01 अप्रैल 2025 को सुबह 05 बजकर 42 मिनट पर

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