Balram Jayanti 2025: हिन्दू धर्म मे बलराम जयंती पर्व का विशेष महत्व होता है। हिंदी पंचांग के अनुसार हर साल भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को बलराम जयंती मनाई जाती है और बलराम जयंती को हलषष्ठी व्रत के नाम से भी जाना जाता है। बलराम जयंती के दिन महिलाएं संतान की दिर्घायु और कुशलता की कामना के लिए महिलाएं यह व्रत रखती हैं। इस दिन भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था। मान्यता है कि बलरामजी का प्रधान शस्त्र हल तथा मूसल है इसलिए उन्हें हलधर भी कहा जाता है। इसे बलराम जन्मोत्सव, चंद्र षष्ठी, या ललई छठ के रुप में भी मनाया जाता है।
हलषष्ठी व्रत में महिलायें अपने पुत्र व संतान की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं। धार्मिक मान्यता हे कि इस व्रत के प्रभाव से भगवान बलराम जी व्रती महिला को संतान की दिर्घायु प्रदान करते है। और उन्हें सुख समृद्धि का वरदान देते है इसके साथ इस दिन बलराम जन्मोत्सव होने के कारण खेती में उपयोग होने वाले उपकरणों की पूजा भी की जाती है। आइये जानते है साल 2025 में बलराम जयंती कब है? 14 या 15 अगस्त, जाने सही दिन व तारीख, पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इस दिन क्या करना चाहिए क्या नही
बलराम जयंती पूजन विधि Balram Jayanti 2025 Puja Vidhi
बलराम जयंती (हलषष्ठी) व्रत के दिन सुबह स्नान कर व्रत का संकल्प ले और पूजा-अर्चना के बाद पूरे दिन निराहार रहकर व्रत करना चाहिए। और शाम के समय पूजा-आरती के बाद फलाहार किया जाता है। और बलराम जयंती के दिन घर या बाहर कहीं भी दीवार पर भैस के गोबर से छठ माता का चित्र बनाकर भगवान गणेश और माता पार्वती की पूजा करना चाहिए। इसके बाद घर में ही गोबर से प्रतीक रूप में तालाब बनाकर, उसमें झरबेरी, पलाश और कांसी के पेड़ लगा ले और वहां पर बैठकर पूजा के बाद हलषष्ठी व्रत की कथा सुननी चाहिए।
बलराम जयंती व्रत के नियम Balram Jayanti Vrat Ke Niyam
प्रत्येक व्रत की तरह इस व्रत के भी कुछ नियम है जिनका पालन व्रती महिला को अवश्य करना चाहिये। हलषष्ठी के दिन माताओं को महुआ की दातुन करने और महुआ खाने की विशेष परंपरा है। इस दिन व्रत के दौरान अनाज का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसी मान्यता है की हलषष्ठी के व्रत में हल की पूजा की जाती है इसीलिए हल से जुती हुई अनाज और सब्जियों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
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बल्कि इस व्रत में वही चीजें खाई जाती हैं जो तालाब में पैदा होती हैं। जेसे तिन्नी का चावल, केमुआ का साग, पसही के चावल आदि। इसके अलावा इस व्रत में गाय के किसी भी उत्पाद जेैसे दूध, दही, गोबर आदि का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। बल्कि हलषष्ठी व्रत में भैस का दूध, दही आदि का प्रयोग किया जाता है
बलराम जयंती 2025 शुभ मुहूर्त Balaram Jayanti 2024 Date Time
अब आप को बतादे की हिंदी पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास की षष्ठि तिथि प्रारम्भ हो रही है 14 अगस्त 2025 को सुबह 04 बजकर 23 मिनट पर और इसका समापन होगा 15 अगस्त 2025 को सुबह 02 बजकर 07 मिनट पर इसलिए बलराम जयन्ती 14 अगस्त 2025 दिन बृहस्पतिवार को मनाई जाएगी।