Magh Purnima Vrat Katha: माघ पूर्णिमा के दिन जरूर पढ़ें ये व्रत कथा, मिलेगा भगवान विष्णु का आशीर्वाद

Magh Purnima Vrat Katha: हिन्दू धर्म में पुर्णिमा तिथि जगत के पालन हार भगवान श्री विष्णुजी को समर्पित होती है। हिंदी पंचांग के अनुसार माघ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को माघ पूर्णिमा मनाई जाती है। इस व्रत का धार्मिक ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक महत्व होता है। मान्यता है कि माघ पुर्णिमा का पर्व बसंत पंचमी के आगमन की खुशी में मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार माघ पुर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्नान और दान पुण्य करने से पापो से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा जीवन खुशहाल और पित्र दोष से मुक्ति मिलती है और वैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है। आईये जानते माघ पुर्णिमा की पौराणिक कथा

माघ पूणमा व्रत कथा History Of Magh Purnima

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार जब सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्णु क्षीर सागर में विश्राम कर रहे थे। तो उस समय महर्षि नारद जी प्रकट हुए तब नारद जी को देखकर भगवान विष्णु ने कहा कि हे महर्षि आपके आने का क्या कारण है। तब नारद जी ने बताया कि मुझो ऐसा कोई उपाय या सुझाव बताएं जिसे करने से लोगों का कल्याण हो सके। तब भगवान विष्णु जी ने कहा कि जो साधक संसार के सुखों को भोगना चाहता है। और मृत्यु के बाद परलोक या बैकुंठ लोक की प्राप्ति का वरदान चाहता है।

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तो वह व्यक्ति पूर्णिमा तिथि के दिन पूरी श्रद्धा और आराधना से भगवान सत्यनारायण कि पूजा-अर्चना और कथा करनी होगी। इसके बाद महर्षि नारद जीने प्रभु श्री हरि विष्णुने व्रत विधि के बारे में विस्तार से ज्ञान दिया। साथ ही विष्णु जीने कहा कि इस व्रत में दिन भर उपवास रखना शुभ माना जाता है। और शाम को भगवान सत्य नारायण की कथा और पाठ करना चाहिए। और प्रभु को भोग अपित करें। ऐसा करने से सत्यनारायण देव प्रसत्न हो कर अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं। इस दिन विष्णु स्वरूप के इन मंत्रों का जाप करें।

मंत्र Mantra

शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्
विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाड्गम्
लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुम्भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्
ॐ भूरिदा भरि दैहिनो, मा दभ्र भर्या भर, भूरि घेदिन्द्र दित्ससि
ॐ भूरिदा त्यसि श्रुतः पुरुत्रा शूर वृत्रहन्, आ नो भजस्व राधसि

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