Tara Jayanti 2025: कब है तारा जयंती 2025 में, जाने डेट टाइम, पूजा शुभ मुहूर्त, पूजा विधि व भोग प्रसाद का क्या करे

Tara Jayanti 2025: हिन्दू धर्म मे तारा जयंती का विशेष महत्व है। तारा देवी दस महाविद्याओं में से एक मानी जाती है। हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष चैत्र मास की शुक्लपक्ष की नवमी तिथि के दिन महातारा जयन्ती मनायी जाती है। ऐसी मान्यता है कि माता तारा देवी की उत्तपत्ति मेरु पर्वत के पश्चिमी भाग में चोलना नदी के तट पर हुआ था। माता तारा देवी भगवान शिव के तारकेश्वर रुद्रावतार की शक्ति मानी जाती हैं। ऐसी मान्यता है कि सर्व प्रथम माता तारा देवी की पूजा महर्षि वसिष्ठ जी ने की थी। माता तारा देवी की पूजा मुख्य रुप से जो लोग तंत्र, मन्त्र में विश्वास रखते उनके लिए यह पूजा सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है।

ऐसी मान्यता है कि माता तारा देवी की पूजा अर्चना करने से वाणी में शक्ति प्राप्त होती है। और शत्रुओं से रक्षा होती है तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके अलावा जब किसी व्यक्ति के जीवन में बहुत सारी समस्याएं होती हैं। और कोई समाधान नहीं होता है। तो माता तारा देवी उसकी सभी समस्याओं और पापों को नष्ट करके अपनी उपस्थिति का एहसास कराती हैं। अब आइये जानते साल 2025 में तारा जयंती कब मनाई जाएगी 05 या 06 अप्रैल, जनये पूजा की सही तिथि, पूजा विधि और इस दिन क्या करना चाहिए क्या नही करना चाहिए-

तारा जयंती 2025 कब है?

Tara Jayanti 2025 Date Time Muhurat: साल 2025 में चैत्र मास की शुक्लपक्ष की नवमी तिथि प्रारम्भ होगी 05 अप्रैल 2025 को शाम 07 बजकर 26 मिनट पर और इस तिथि की समाप्ति होगी 06 अप्रैल 2025 को शाम 07 बजकर 22 मिनट पर इसलिए इस तिथि के अनुसार तारा जयंती 06 अप्रैल दिन रविवार को मनाई जाएगी।

तारा जयंती पूजा विधि

Tara Jayanti Puja Vidhi: माता तारा देवी की पूजा अर्धरात्रि में किया जाता है। माता तारा देवी की पूजा अकेले एकांत जगहों पर किया जाता है। माता तारा देवी की पूजा करने से पहले पूजा स्थल की अच्छे से साफ सफाई करके स्नान आदि करके सफेद वस्त्र पहनकर व्रत का संकल्प ले। इसके बाद पूजा स्थल पर एक लकड़ी की चौकी पर गंगाजल छिड़कर उसे शुद्ध करके उसपर लाल या गुलाबी रंग का कपड़ा बिछाकर उसपर माता की मूर्ति या फ़ोटो स्थापित करे।

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और तारा यंत्र की स्थापना करके यंत्र के चारों ओर चावल की ढेरियां बनाएं। और उस चावल पर एक- एक लौंग रखे फिर तारा यंत्र के सामने घी का दीपक जलाएं और इस मन्त्र ॐ ह्रीं स्त्रीं हुं फट् जाप करे। इसके बाद माता तारा की कथा सुने और पूजा के अंत मे माता की आरती करके पूजा समाप्त करे। और पूजा समाप्त करने के बाद सभी पूजन सामग्री को बहते हुए जल में प्रवाहित करें। या फिर किसी पीपल पेड़ की नीचे रखदे या फिर किसी सुन सान जमीन में गाड़ दे।

मां तारा का भोग क्या है?

Tara Mata Ka Bhog: तारा जयंती के दिन माता तारा देवी की आराधना करने के बाद माता तारा देवी को विशेष रूप से पांच प्रकार का भोग अर्पित किया जाता है जैसे- मिश्री के जल, खीर, दही, मिठाई इत्यादि

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