Narak Chaturdashi 2025: कब है नरक चतुर्दशी 2025 में, नोट करे डेट टाइम, पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इस दिन क्या करे क्या नही?

Narak Chaturdashi 2025: हिन्दू धर्म मे नरक चतुर्दशी व्रत पूजा का विशेष महत्व होता है। हिंदी पंचांग के अनुसार नरक चतुर्दशी हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। जिसे नरक चौदस, रूप चौदस और रूप चतुर्दशी या फिर छोटी दिवाली के नाम से भी जाना जाता है। नरक चतुर्दशी दीवाली से एक दिन पहले और धनतेरस के एक दिन बाद मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन मृत्यु के देवता भगवान यमराज की पूजा करने का विधान है। नरक चतुर्दशी को दीपावाली से ठीक एक दिन पहले मनाये जाने की वजह से इस नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली भी कहा जाता है। नरक चतुर्दशी के दिन शाम के समय चौमुखी दीये जलाए जाते हैं।

धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान यमराज की पूजा करके अकाल मृत्यु से मुक्ति और बेहतर स्वास्थ्य की कामना की जाती है। इसके अलावा नरक चौदस के दिन प्रात: काल सूर्य उदय होने से पहले शरीर पर तिल्ली का तेल लगाकर (मलकर) और अपामार्ग (चिचड़ी) की पत्तियां पानी में डालकर स्नान करने से नरक के भय से मुक्ति मिलती है और मनुष्य को स्वर्ग की प्राप्ति होती है। आइए जानते है साल 2025 में नरक चतुर्दशी कब है 19 या 20 अक्टूबर, जानिए सही तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, महत्व और इस दिन किये जाने वाला उपाय –

नरक निवारण चतुर्दशी 2025 में कब है?

Narak Chaturdashi 2025 Date Muhurat: हिंदी पंचांग के अनुसार साल 2025 में कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ हो रही है 19 अक्टूबर 2025 को दोपहर 01 बजकर 51 मिनट पर और कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि समाप्त हो रही है 20 अक्टूबर 2025 को दोपहर 03 बजकर 44 मिनट पर इसलिए उदया तिथि के अनुसार नरक निवारण चतुर्दशी का व्रत 20 अक्टूबर 2025 दिन सोमवार को मनाई जाएगी। और इस दिन अभ्यंग स्नान करने का शुभ मुहूर्त होगा 20 अक्टूबर की सुबह 04 बजकर 56 मिनट से लेकर सुबह 06 बजकर 08 मिनट तक रहेगा। स्नान करने की कुल अवधि रहेगी 01 घंटा 12 मिनट और इस दिन चंद्रोदय होने का समय रहेगा सुबह 04 बजकर 56 मिनट पर

नरक चतुर्दशी पूजा विधि

Narak Chaturdashi Puja Vidhi: नरक चतुर्दशी के दिन सबसे पहले प्रात:काल उठकर नित्य क्रिया से निवृत्त होकर किसी भी पवित्र गंगा नदी में स्नान करें। यदि आप के आस-पास कोई गंगा नदी नही है तो किसी भी पोखर या तालाब में स्नान कर सकते है। क्योकि सूर्य उदय से पहले स्नान करने का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार नरक चतुर्दशी के दीन शरीर पर तिल के तेल से मालिश करके, चिरचिरी के पत्ते को सिर के ऊपर से चारों ओर 3 बार घुमाकर स्नान करना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि नरक चतुर्दशी से पहले कार्तिक कृष्ण पक्ष की अहोई अष्टमी के दिन एक लोटे में पानी भरकर रखा जाता है। और नरक चतुर्दशी के दिन इस लोटे का जल नहाने के पानी में मिलाकर स्नान किया जाता है।

इसे भी पढ़ो- Diwali 2025: मर जाना कबूल लेकिन दीवाली के दिन 5 वस्तु घर मे कभी मत रखना वरना माता लक्ष्मी घर से चली जायेगी।

ऐसा करने से नरक के भय से मुक्ति मिलती है। इसके बाद नरक चतुर्दशी के दिन स्नान आदि करने के बाद दक्षिण दिशा की ओर हाथ जोड़कर भगवान यमराज से प्रार्थना करें। ऐसा करने से मनुष्य द्वारा वर्ष भर किए गए पापों का नाश हो जाता है। नरक चतुर्दशी के दिन भगवान यमराज को तेल का दीया घर के मुख्य द्वार से बाहर की ओर जरूर जलाना चाहिए।

क्योकि नरक चतुर्दशी के दिन शाम के समय सभी देवताओं की पूजा करने के बाद तेल के दीपक जलाकर घर की चौखट के दोनों ओर और घर के बाहर व कार्य स्थल के प्रवेश द्वार पर रख दें। ऐसा करने से लक्ष्मी जी सदैव घर में निवास करती हैं। और नरक चतुर्दशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा जरूर करनी चाहिए। क्योकि ऐसा करने से सौंदर्य की प्राप्ति होती है।

ऐसी मान्यता है कि नरक चतुर्दशी की मध्य रात्रि में घर में जो बेकार का सामान पड़ा है उसे घर से निकाल कर फेंक देना चाहिए। ऐसा करने से घर की दरिद्रता दूर होती है। और इसी इस परंपरा को दारिद्रय भगाना कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि नरक चतुर्दशी के अगले दिन दीपावली पर लक्ष्मी जी घर में प्रवेश करती है, इसलिए दरिद्रय को भगाकर यानि गंदगी को घर से निकाल माता लक्ष्मी को घर मे आने के लिए स्वागत किया जाता है।

नरक चतुर्दशी के दिन क्या करे क्या ना करे

धार्मिक मान्यता है कि नरक चतुर्दशी भगवान यमराज को समर्पित होती है इसलिए इस दिन भगवान यमराज और भगवान श्री कृष्ण की पूजा करना शुभ माना जाता है। इसलिए इस दिन भगवान यमराज की पूजा करने से मृत्यु का भय नही रहता है। और मरने के बाद मोछ की प्राप्ति होती है। नरक चतुर्दशी के दिन किसी भी प्रकार की जीव हत्या नहीं करनी चाहिए। बल्कि इस दिन दक्षिण में यम के नाम का दीपक जरूर जलाना चाहिए। बल्कि हो सके तो घर के आस पास गंदगी नही करना चाहिए। पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन केवल उन्ही लोगो का श्राद्ध करना चाहिए जिनकी अकाल मृत्यु हुई हो जैसे दुर्घटना, आत्महत्या आदि। इसके अलावा जिन लोगो की स्वाभाविक रूप से मृत्यु हुई हो तो उनका श्राद्ध नहीं किया जाता।

Leave a Comment

error: Content is protected !!