Dasha Mata 2025 Puja Samagri: नोट करे सम्पूर्ण पूजा सामग्री, मन्त्र

Dasha Mata 2025 Puja Samagri: हिंदू धर्म मे दशामाता व्रत पूजा विदेश महत्व बतलाया गया है। दशा माता का व्रत घर-परिवार के बिगड़े ग्रहों की दशा और परिस्थितियों को अनुकूल बनाने के लिए किया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक साल चैत्र माह की कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को दशा माता की पूजा आराधना की जाती है। दशामाता व्रत के दिन व्रती महिलाए व्रत पूजा करके गले में पूजा का धागा पहनती है। ताकि परिवार में सुख-समृद्धि शांति, सौभाग्य और धन संपत्ति की समस्या दूर हो सके। इस दी महिलाएं पूरे व्रत उपवास रखकर पीपल की पूजा करती है और सुख-शांति और अच्छी सेहत की कामना करती हैं। आईये जानते है साल 2025 में दशामाता का व्रत कब रखा जाएगा और पूजा करने पूजा सामग्री क्या होगी और पूजा करते समय क्या मन्त्र बोलना चाहिए

दशा माता पूजा शुभ मुहूर्त

Dasha Mata 2025 Shubh Muhurat: साल 2025 में दशामाता का व्रत पूजा 25 मार्च दिन सोमवार को की जाएगी। पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 45 मिनट से लेकर 10 बजकर 15 मिनट तक रहेगा। और इस दिन दशमी तिथि प्रारंभ होगी : 24 मार्च 2025 को शाम 05 बजकर 40 मिनट पर और दशमी तिथि समाप्त होगी 25 मार्च 2025 को शाम 05 बजकर 05 मिनट पर

दशा माता मन्त्र Dasha Mata Mantra

ॐ दशा माता नमोः नमः
श्री दशा माता नमोः नमः
जय जय दशा माता नमोः नमः
ॐ जय श्री दशा माता नमोः नमः
इस मन्त्र का उच्चारण पूरे 108 बार किया जाना चाहिए।

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दशामाता व्रत पूजा सामग्री

Dasha Mata Puja Samagri: दशामाता की पूजा में यह पूजा की सभी सामग्री जरूर होनी चाहिए जैसे-

  • पूजा में बैठने के लिए आसन
  • दशा माता की मूर्ति या चित्र
  • लाल फूल
  • अगरबत्ती
  • चंदन
  • चमेली
  • तेल का दीपक
  • दीया
  • बत्ती
  • शुद्ध देशी घी (गाय का)
  • कपूर
  • नारियल
  • मौसमी फल
  • मिठाई
  • लाल और पीले रंग का धागा
  • कुमकुम या सिंदूर
  • हल्दी पाउडर
  • पान का पत्ते और सुपारी
  • कच्चा चावल
  • पवित्र गंगाजल
  • पंचामृत जो दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से बना हो
  • 5 दीपक
  • पूजा की घंटी
  • शंख
  • हवन सामग्री
  • अष्टगंध का चूर्ण
  • दुर्गा सप्तशती या देवी महात्म्य पुस्तक
    तांबे या चांदी का कलश आदि सामग्री पूजा में जरूर सामिल करना चाहिए।

नोट- आप को बतादे की दशामाता की पूजा करने के लिए इस सभी सामग्री का होना जरूर नही है। क्योकी हर छेत्रो में पूजा पाठ करने का अपना एक अलग-अलग तरीका होता है। ठीक उसी पूजा में अलग-अलग जगहों पर कुछ पूजा सामग्री अलग हो सकती है।

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