Amalaki Ekadashi 2026: एकादशी व्रत का हिन्दू धर्म मे विशेष महत्व है। हिन्दू मान्यताओ के अनुसार एकादशी का व्रत रखने से विशेष फलो की प्राप्ति होती है। हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार आमलकी का व्रत रखने से सैकड़ो तीर्थ दर्शन करने के समान पूण्य फल प्राप्त होता है। आमलकी एकादशी व्रत शास्त्रो में अत्यधिक शुभ माना जाता है। इस दिन का उपवास रखने से सौभाग्य, समृद्धि और खुशी की प्राप्ति होती है।
मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को करने से सभी पाप धुल जाते हैं और भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है। आमलकी एकादशी प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन मनाई जाती है। और इस एकादशी तिथि को रंगभरी एकादशी, आंवला एकादशी आदि नामो से जाना जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी, बाबा विश्वनाथ और माता पार्वती अपने भक्तों के साथ होली खेलते हैं।
इसी दिन से काशी में रंगभरी होली की शुरुवात की जाती है। और आज के दिन भगवान विष्णु जी के साथ आवलें वृक्ष की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि आंवले की पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती है। आइये जानते है साल 2026 में आमलकी एकादशी या रंगभरी एकादशी कब है? 27 या 28 फरवरी, जाने सही तिथि, शुभ योग, पूजा मुहर्त, पूजा विधि और इस दिन किये जाने वाले उपाय।
आमलकी एकादशी 2026 कब है?
Amalaki Ekadashi 2026 Date Time: साल 2026 में फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि प्रारम्भ होगी 27 फरवरी 2026 को सुबह 12 बजकर 33 मिनट पर और इस तिथि का समापन होगा 27 फरवरी 2026 को रात 10 बजकर 32 मिनट पर इस तिथि के अनुसार साल 2025 में आमलकी एकादशी 27 फरवरी दिन शुक्रवार को मनाई जाएगी। और सुबह 28 फरवरी 2026 को व्रत पारण किया जाएगा सुबह 06 बजकर 47 मिनट से लेकर सुबह 09 बजकर 06 मिनट तक रहेगा।
आमलकी एकादशी पूजा विधि
Amalaki Ekadashi 2026 Puja Vidhi: आमलकी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्रान आदि करने के बाद पूजा का संकल्प ले। और पूजास्थल पर धूप-दीप जलाये, और भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करे। और उन्हें पीले फुल, पिले फल और तुलसी दल अर्पित करे। इसके बाद आवलें के वृक्ष को सींचकर उसकी भी पूजा करे। इसके बार घर से एक पात्र में जल भरकर किसी भी शिव मंदिर ले जाए और फिर भगवान शिव को जल अर्पित करे। और उन्हें अबीर, गुलाल, चंदन, भस्म और बेलपत्र चढ़ाये। और अंत में व्रत कथा पढ़कर भगवान शिव जी की आरती करे।
आमलकी एकादशी व्रत के नियम
Rules of Amalaki Ekadashi Fast: आमलकी एकादशी व्रत में आंवले वृक्ष का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार आमलकी एकादशी के दिन आंवले पूजन से लेकर भोजन तक हर कार्य में आंवले का प्रयोग किया जाता है।
आमलकी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लेना चाहिए। और स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान विष्णु की पूजा करके गाय के घी का दीपक जलकार विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना चाहिए।
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इसके बाद आंवले की पूजा करने के बाद आंवले वृक्ष के नीचे कलश की स्थापना करना चाहिए। फिर आंवले के वृक्ष का धूप, दीप, चंदन, रोली, पुष्प, अक्षत आदि से पूजन करके उसके नीचे किसी गरीब, जरुरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन कराकर दान दक्षिणा देना चाहिए।
फिर अगले दिन सुबह स्नान करके भगवान विष्णु का पूजन करने के बाद किसी जरुतमंद व्यक्ति को कलश का दान, वस्त्र का दान, और आंवला आदि दान करना चाहिए। इसके बाद भोजन ग्रहण करके व्रत का उपवास खोलना चाहिए।