Basoda Puja 2026: कब है बासोड़ा पूजा 2026 में, नोट करे डेट टाइम, पूजा शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और क्या करे क्या नही?

Basoda Puja 2026: हिन्दू धर्म मे बासोड़ा पूजा का विशेष महत्व बतलाया गया है। हिंदी पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन बासोड़ा पूजा का पर्व मनाया जाता है। और इस दिन को शीतला अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। बासोड़ा पूजा के दिन माता शीतला का पूजन किया जाता है। और माता शीतला को बासी पकवानों का भोग लगाया जाता है।

ऐसी मान्यता है कि इस दिन लगभग सभी महिलाएं अपने पुत्र और पति की दीर्घायु और उनके अच्छे स्वाथ्य की कामना के लिए माता शीतला से कामना करती है। ऐसी मान्यता है कि मौसम परिवर्तन की वजह से अनेकों तरह की बीमारियां उतपन्न होने लगती है। और विमारियों को माता शीतला दूर करती है। जिसकी वजह से माता शीतला को रोग मुक्त दायनी भी कहा जाता है। बासोड़ा पूजा होली से लगभग 8 दिन बाद मनाया जाता है। आईये जानते है साल 2026 में बासोड़ा पूजा (शीतला अष्टमी व्रत ) कब है ? 11 या 12 मार्च, जानिए दिन व तारीख, पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इस दिन क्या करे क्या ना करे।

बासोड़ा पूजा 2026 में कब मनाया जाएगा?

Basoda Puja 2026 Date Muhurat: साल 2025 में चैत्र मास की अष्टमी तिथि प्रारम्भ होगी 11 मार्च 2026 को सुबह 01 बजकर 54 मिनट पर और अष्टमी तिथि समाप्त होगी 12 मार्च 2026 को सुबह 04 बजकर 19 मिनट पर इसलिए उदया तिथि के अनुसार बासोड़ा पूजा 11 मार्च दिन बुधवार को मनाया जाएगा। और इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त है सुबह 06 बजकर 36 मिनट से लेकर सुबह 06 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। पूजा की कुल अवधि होगी 11 घंटे 51 मिनट

बासोड़ा पूजा विधि

Basoda Puja Vidhi 2026: बासोड़ा पूजा से एक दिन पहले यानी सप्तमी तिथि को शाम के समय किचन की अच्छे से साफ-सफाई करके प्रसाद के लिए भोजन बनाकर रखा जाता हैं। और अगले दिन यानी बसौड़ा के दिन सूर्योदय से पहले स्नान करके व्रत का संकल्प लिया जाता हैं। और शीतला माता के मंदिर जाकर पूजा किया जाता हैं। और फिर बासी भोजन का भोग लगाया जाता है। और माता के भोग में मुख्य रूप से दही, रबड़ी, चावल, हलवा, पूड़ी आदि बनाकर माता को भोग लगाया जाता है। इसके बाद घर आकर जहां पर होलिका दहन हुआ था, उस स्थान पर जाकर वहां पूजा किया जाता है। और फिर घर आकर बड़े का बुजुर्गों के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लिया जाता है।

बासोड़ा पूजा के दिन क्या करे

  • बासोड़ा पूजा से एक दिन पहले यानी शाम को मात शीतला को भोग लगाने के लिए मीठे चावल को बना ले और मीठे चावल के साथ हल्दी और चने की जरूर होनी चाहिए।
  • बासोड़ा पूजा के दिन ठंडे पानी से स्नान करके साफ कपड़े पहनकर झा पर होली जलाई गई थी उस जगह पर रात्रि में जाकर आते से दो दीपक बनाकर उसमे घी डालकर जलाना चाहिए।

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  • इसके बाद माता शीतला के मंदिर में जाकर उनकी पूजा अर्चना करके हल्दी और रोली का तिलक लगाना चाहिए। फिर काजल, मेहदी, लच्छा और वस्त्र अर्पित करना चाहिए।
  • इसके बाद मे माता शीतला की कथा पढ़कर मीठे चावल का भोग लगाकर आटे का बना दीपक जलाकर आरती उतारे। इसके बाद माता शीतला की आरती करे।

बासोड़ा पूजा के दिन क्या ना करे

  • बासोड़ा पूजा के दिन भूलकर भी ताजा भोजन नही बनाया जाता है। हो सके तो इस दिन घर मे चूल्हा नही जलाना चाहिए।
  • बासोड़ा पूजा के दिन जिस घर मे कोई गंभीर बीमारी से लड़ रहा हो उस घर मे शीतला अष्टमी का व्रत नही रखना चाहिए।
  • बासोड़ा पूजा के दिन गर्म भोजन भूलकर भी नही करना चाहिए। बासोड़ा पूजा के दिन भूलकर भी सिलाई, कड़ाई, बुनाई और नाही ही सुई में धागा डालना चाहिए।

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