Chaurchan Puja 2024: कब है चौरचन? जाने शुभ मुहूर्त, पूजा विधि व महत्व

चौरचन पूजा का महत्व

Chaurchan Puja 2024: मित्रो भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को चौरचन का पर्व मनाया जाता है। और इस पर्व को चौठ चंद्र के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व पर्व मुख्य रूप से विहार, झारखण्ड, उत्तर प्रदेश, मिथिला में मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश और भगवान चंद्रदेव की पूजा अर्चना की जाती है।

धार्मिक मान्यता के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन दौरान भगवान चंद्रमा को कलंक लगा था। इसलिए आज के दिन जो भी लोग भगवान गणेश के साथ-साथ भगवान चंद्र देव की पूजा अर्चना करते हैं। उन्हें चंद्र दोष से मुक्ति मिलती हैं। इस व्रत को महिलाएं अपने पुत्रों की दीर्घायु के लिए, उनकी सुख संमृद्धि के लिए, उनकी कल्याण के लिए,उनके उज्जवल भविष्य के लिए, यह व्रत रखती हैं।

आईये जानते है साल 2024 में चौरचन पूजा कब है? पूजा का शुभ मुहूर्त कब है, और इस व्रत की विधि क्या है और इस दिन किये जाने वाले उपाय

चौरचन व्रत की कथा

एक पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान चंद्र देव ने अपनी सुंदरता के अभिमान में भगवान गणेश का मजाक उड़ा दिया। जिसके बाद भगवान गणेश ने उन्हें श्राप दे दिया उसके बाद भगवान गणेश को मनाने के लिए चंद्र देव ने भाद्रपद मास की चतुर्थी तिथि को गणेश जी की पूजा की और उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान गणेश ने उन्हें आशीर्वाद दिया। कि जो भी इस खास मंत्र में साथ गणेश चतुर्थी को चंद्रदेव का दर्शन करेगा उनका जीवन निष्कलंक रहेगा। तभी से यह चौरचन पूजा मनाया जाने लगा।

चौरचन व्रत पूजा विधि

Chaurchan Vrat Puja Vidhi 2024: मित्रो अब पूजा करने की विधि को भी जान लेते है जो इस प्रकार है।

  • भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके व्रत का संकल्प ले, और सुबह से लेकर शाम तक व्रत रखें। और शाम के समय घर के आंगन को गाय के गोबर से लीपकर साफ-सुथरा करले। इसके बाद कच्चे चावल को पीसकर घर के आंगन में रंगोली बनाकर आंगन को अच्छे से सजा सजाया जाता है। और इसके बाद केले के पत्ते की मदद से गोलाकार चांद बनाया जाता है। इसके बाद पूजा में तरह-तरह के मीठे पकवान जैसे खीर मिठाई गुझिया और फल आदि भोग के रूप में चढ़ाया जाता है।
  • और अंत मे पक्षिम दिशा की ओर मुख करके रोहिणी नक्षत्र सहित चतुर्थी में चंद्रमा की पूजा की जाती है। इस पूजा में दही का काफी महत्व है। इसीलिए इस दिन मिट्टी के बर्तन में दही जमाया जाता है। और इस दही को पूजा के दौरान इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा बांस के बर्तन में विशेष खीर तैयार की जाती है, जिसका भोग भगवान चंद्रदेव को लगाया जाता है।

चौरचन पूजा का शुभ मुहूर्त

Chaurchan Vrat Puja 2024 Subh Muhurat: मित्रो अब पूजा का शुभ मुहूर्त को भी जान लेते है। जो इस प्रकार है।

  • अब आप को बतादे की वर्ष 2024 में चौरचन पूजा 06 सितंबर दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा।
  • भाद्रपद मास की शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि प्रारंभ होगी – 06 सितम्बर 2024 को दोपहर 03 बजकर 01 मिनट पर
  • भाद्रपद मास की शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि समाप्त होगी – 07 सितम्बर 2024 को शाम 05 बजकर 37 मिनट पर
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