Gangaur Puja 2025: गणगौर पूजा राजस्थान प्रदेश का मुख्य पर्व है। इस दिन विवाहित महिलाये माता पार्वती की पूजा अर्चना करती है। गणगौर पूजा प्रत्येक वर्ष चैत्र मास के शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि के दिन गणगौर का पर्व मनाया जाता है। गणगौर पूजा भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है। इस दिन व्रती महिलाए भगवान शिव और माता पार्वती की मिट्टी की मूर्ति बनाकर उनकी पूजा अर्चना करती है। इस पर्व को गौरी तृतीया के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि गणगौर व्रत को करने से महिलाओं को अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। हिन्दू धर्म मे जिस तरह तीज पर्व का महत्व होता है ठीक उसी प्रकार गणगौर पूजा का भी विशेष महत्व बतलाया है।
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जिस तरह से उत्तर भारत मे बड़ी संख्या में महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए मनचाहे पति पाने की इच्छा के लिए सावन के महीने में तीज का व्रत रखती है। ठीक उसी प्रकार राजस्थान में महिलाये पति की दीर्घायु के लिए और उनकी सलामती के लिए गड़गौर का व्रत रखती है। तीज पर्व की तरह ही गणगौर व्रत में भी भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना की जाती है। आइये जानते है साल 2025 में गणगौर पूजा कब से शुरू होगा 30 मार्च या 01 अप्रैल, और कब समाप्त होगा। जानिए पूजा की सही तारीख, पूजा विधि और इस दिन किये जाने वाले उपाय
गणगौर पूजा 2025 शुभ मुहूर्त Gangaur Puja 2025 Shubh Muhurat
साल 2025 में गणगौर पूजा 31 मार्च 2025 दिन सोमवार को मनाय जाएगा। आप को बतादे की चैत्र मास की शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि प्रारंभ होगी 31 मार्च 2025 को प्रातः 09 बजकर 11 मिनट पर और चैत्र मास की तृतीया तिथि समाप्त होगी 01अप्रैल 2025 को प्रातःकाल 05 बजकर 42 मिनट पर
गणगौर पूजा विधि Gangaur Puja Vidhi 2025
चैत्र मास की शुक्लपक्ष की तृतीया के दिन व्रती महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके व्रत का संकल्प लेती है। इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती मिट्टी की मूर्ति बनाकर उन्हें सुंदर वस्त्र पहनाती है। इसके बाद माता पार्वती को सभी पूजा की सामग्री और ऋंगार की वस्तुएं अर्पित करती है। इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती को चंदन, अक्षत, रोली, कुमकुम लगाती है। इसके बाद धूप, दीप, फल, मिठाई आदि का भोग लगाकर दूर्वा अर्पित करती है।
गणगौर पूजा के नियम Gangaur Puja Ke Niyam
Gangaur Puja 2025 गणगौर पूजा के दिन अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए महिलाओं को क्या करना चाहिए और किन-किन चीजों से बचना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि गणगौर पूजा में जो भी प्रसाद भगवान शिव और माता पार्वती को भोग के रूप में अर्पित किया जाता है वह प्रसाद केवल महिलाएं ही खाती है।
क्योकि यह व्रत केवल सुहाग के लिए होता है इसलिए पुरुषों को इस पूजा का प्रसाद नहीं खाना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि गणगौर पूजा में जो भी सिंदूर माता गौरी को अर्पित किया जाता है। उससे सुहागिन महिलाएं अपनी मांग भरती हैं इससे सौभाग्य की प्राप्ति होती है।