Holashtak 2026: 2026 में होलाष्टक कब से शुरू होगा, जाने इस दौरान क्या करे क्या ना करे ?

Holashtak 2026: होली का पर्व पूरे भारत वर्ष मे बड़ी ही हर्सोल्लास के साथ मनाया जाता है। हिंदी पंचांग के अनुसार होली का पर्व प्रत्येक वर्ष फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। और होली से ठीक 8 दिन पहले होलाष्टक शुरू हो जाता हैं और होलिका दहन तक चलता है। मान्यता है कि होलाष्टक शुरू होने के बाद 8 दिनों में किसी भी तरह के शुभ या मांगलिक नही करना चाहिए। मान्यता है कि इस दौरान जो भी शुभ कार्य किया जाता है वह सफल नही माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि होलाष्टक के दौरान सभी ग्रहों का स्वभाव उग्र रहता है। इस लिए होलाष्टक के दौरान कोई भी शुभ कार्य करने से इसका पूरा फल नहीं मिलता है। इसलिए होली के 8 दिन पहले शुभ कार्य करने से बचना चाहिए।

माना जाता है कि होलाष्टक के दौरान वातावरण में नकारात्मकता ऊर्जा का प्रवाह बढ़ जाता है। अगर होलाष्टक में कोई भी व्यक्ति शुभ या मांगलिक कार्य करता है तो उसे कई सारी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। आइये जानते है साल 2026 में होलाष्टक कब से शुरू हो रहा है? 25 या 25 फरवरी जानिए सही दिन तारीख, और होलाष्टक के दौरान क्या सावधानियां बरतनी चाहिए।

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एक पौराणिक कथा के अनुसार फाल्गुन मास की शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि के दिन भगवान कामदेव और रति ने भगवान शिव जी की तपस्या भंग कर दी थी। इसलिए भगवान क्रोधित हो गये और कामदेव को भस्म कर दिया । इसके बाद कामदेव की पत्नी देवी रति ने भगवान शिव की कठोर आराधना की। इसके बाद आठ दिन बाद शिवजी ने उनकी प्रार्थना सुनी और कामदेव को पुनर्जीवन का वरदान दिया। इसी कारण 8 आठ दिन अशुभ माना जाता है। लेकिन इसका समापन फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन के साथ समाप्त होता है।

होलाष्टक से शुरू होगा 2026 Holashtak 2026 Start Date

अब आईये जानते है साल 2026 में होलाष्टक कब से शुरू होगा तो आप को बतादे की साल 2026 में होलाष्टक 24 फरवरी दिन मंगलवार से प्रारम्भ होगा और इसका समापन अगले दिन यानी 04 मार्च 2026 दिन बुधवार को समाप्त होगा। और 03 मार्च दिन मंगलवार को होलिका दहन किया जाएगा।

होलाष्टक के दौरान क्या करना चाहिए What To Do During Holashtak

  • शास्त्रो में बतलाया गया है कि जब होलाष्टक शुरू होता है उस दौरान कोई भी शुभ कार्य नही करना चाहिए जैसे शादी-विवाह, मुंडन संस्कार, नये वाहन खरीदना, नये रोजगार का शुभ आरम्भ करना आदि। बल्कि होलाष्टक के दौरान अधिक से अधिक भगवान का ध्यान करना चाहिए और हो सके तो इस दौरान भजन, जप, तप, स्वाध्याय व वैदिक अनुष्ठान आदि करना चाहिए। ताकि समस्त कष्ट, विघ्न व संतापों का क्षय हो सके।
  • होलाष्टक के दौरान पूजा पाठ और जप-तप का करने का विशेष महत्व बतलाया गया है। इसलिए होलाष्टक के इन आठ दिनों में भगवान विष्णु और कुल के देवी-देवताओं की पूजा अर्चना करनी चाहिए।
  • ऐसी मान्यता है कि यदि आप के शरीर में कोई असाध्य रोग हो जिसका उपचार करने के बाद भी ठीक नहीं हो रहा है। तो भगवान शिव का पूजन करें और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से आप के सारे कष्ट दूर हो जायेगे।

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