Karwa Chauth 2025: हिन्दू धर्म मे करवा चौथ का व्रत सभी सुहागिन महिलाओं का प्रमुख त्यौहार माना जाता है। हिंदी कैलेंडर के अनुसार करवा चौथ व्रत प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन मनाया जाता है। जिसे करवा चौथ व्रत कहा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन सभी सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और उनकी सुख संमृद्धि के लिए और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए निर्जला व्रत रखती हैं।
करवा चौथ व्रत में सभी सुहागिन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती, भगवान गणेश जी और भगवान चंद्रदेव की पूजा अर्चना करती है। ऐसा माना जाता है कि करवा चौथ के दिन चंद्रमा की पूजा करने का भी विशेष महत्व है क्योंकि इस दिन चंद्रमा की पूजा करने से घर परिवार में सुख समृद्धि आक आगमन होता है। यह व्रत सुबह सूर्योदय से शुरू होता है और शाम को चंद्रमा निकलने तक चलता है। और चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद पति के हाथों से पानी पीकर ही महिलाएं व्रत का समापन करती है।
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ऐसी मान्यता है करवा चौथ व्रत के दिन सास द्वारा दी गई सरगी शुभ मानी जाती है। इसलिए व्रत शुरू होने से पहले सास अपनी बहू को सरगी के रूप में कुछ मिठाइयां, कपड़े और श्रृंगार का सामान देती है। जो उसे खाकर और भगवान की पूजा करके निर्जला व्रत का संकल्प लेती है। आइये जानते है साल 2025 में करवा चौथ व्रत कब है? 09 या 10 अक्टूबर, जानिए पूजा की सही तारीख, पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, चंद्रोदय उदय होने का समय और करवा चौथ व्रत के दिन क्या करना चाहिए क्या नही करना चाहिए।
करवा चौथ 2025 पूजा शुभ मुहूर्त Karwa Chauth 2025 Puja Shubh Muhurat
हिंदी पंचांग के अनुसार करवा चौथ हर साल कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन रखा जाता है। इस साल 2025 में चतुर्थी तिथि की शुरुआत 09 अक्तूबर 2025 को रात 10 बजकर 54 मिनट पर होगी। और चतुर्थी तिथि का समापन 10 अक्तूबर 2025 को शाम 07 बजकर 38 मिनट पर होगा। इसलिए इस साल 2025 में करवा चौथ का व्रत 10 अक्तूबर 2025 दिन शुक्रवार को रखा जाएगा। और इस दिन करवा चौथ पूजा का शुभ मुहूर्त है शाम 05 बजकर 57 मिनट से लेकर शाम 07 बजकर 11 मिनट तक रहेगा। करवा चौथ व्रत के दिन चंद्रदोय होने का समय है 10 अक्टूबर 2025 की रात 08 बजकर 13 मिनट पर होगा। इसलिए चंद्रमा निकलने के बाद ही चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए। इसके बाद ही व्रत का करे
करवा चौथ 2025 पूजा विधि Karwa Chauth 2025 Puja Vidhi
करवा चौथ व्रत के दिन सभी व्रती सुहागिन महिलाओं को सुबह जल्दी उठकर घर की साफ सफाई करके स्नान आदि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। और पूरे दिन निर्जला व्रत रखना चाहिए। इसके बाद शाम के समय पूजा सामग्री जैसे – पीली मिट्टी, पीले या लाल रंग का कपड़ा, लकड़ी का पटरा, मिट्टी का करवा, रोली, सिंदूर, कलावा, दीपक, रुई, घी, धूप-बत्ती, कपूर, माला, पान, पंचमेवा, पंचामृत, मौसमी फल, पैदा बतासा, गंगाजल और चावल पूजा के लिए रख ले। इसके बाद शाम को पूजा स्थल को अच्छे से साफ-सफाई करके स्वच्छ कर ले, फिर स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र पहनकर पूजा शुरू करे।
करवा चौथ व्रत के नियम Karwa Chauth Vrat Ke Niyam
▪️ऐसी मान्यता है कि करवा चौथ के दिन सभी सुहागिन व्रती महिलाएं सुबह सूर्योदय से पहले जागकर स्नान आदि करके सरगी खाकर व्रत की शुरुआत करती हैं। इसके बाद सुहागिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं. और शाम को नई दुल्हन की तरह सज-सवर 16 श्रृंगार करके भगवान शिव माता पार्वती (करवा माता) भगवान गणेश, भगवान चंद्रदेव, भगवान सूर्य की पूजा अर्चना करती है।
▪️इसके बाद शाम के समय चाँद को छलनी से देखकर और अपने पति को देखती है। इसके बाद उगते हुऐ चंद्रमा को गाय के दूध का अर्घ देती है। इसके बाद पति को रोरी चंदन से टिका लगाकर आरती उतारती है। फिर पति के हाथों से पानी पीकर अपना व्रत खोलती हैं।
▪️धार्मिक मान्यता के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव जी को पति के रूप में पाने के लिए करवा चौथ का व्रत रखा था। और महाभारत काल के समय द्रौपदी ने पांडवों के लिए करवा चौथ का व्रत किया था। ऐसी मान्यता है कि करवा चौथ व्रत के प्रभाव से महिलाओं को अखंड सौभाग्यवती होने का वरदान मिलता है। और करवा माता उनके सुहाग की सदा रक्षा करती हैं और वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है।