Makar Sankranti 2025: हिन्दू धर्म मे मकर संक्रांति पर्व का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान सूर्यदेव उत्तरायण होते है। और इस दिन धनुराशि को छोड़कर मकर राशि मे प्रवेश करते है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान सूर्य देव अपने पुत्र शनिदेव से मिलने के लिए जानते है। जो कि शनि देव मकर राशि के स्वामी माने जाते हैं। इस लिए इस पर्व को मकरसंक्रांति के नाम से जाना जाता है। इसदिन भगवान सूर्यदेव की पूजा करने का विशेष महत्व है। और मकरसंक्रांति के दिन किसी भी पवित्र नदी में स्नान दान करने का बहुत महत्व है।
मकर संक्रांति के दिन सूर्योदय होने से पहले स्नान करना चाहिए। ऐसा करने से दस हजार गौ दान करने जितना फल प्राप्त होता है। ऐसे मान्यता है कि मकरसंक्रांति के दिन उड़ी कपड़े, कम्बल, तिल, और गुड़ सबने व्यजन व खिचड़ी दान करने से भगवान सूर्यदेव और भगवान शनिदेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। ऐसी मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य देव की पूजा आराधना करने से मनुष्य के सभी कष्ट दूर होते हैं। और घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। इस दिन से सूर्य की उत्तरायण गति भी आरंभ होती है और इसी कारण इसको उत्तरायणी भी कहते हैं। आइये जानते है साल 2025 में कर संक्रांति कब है? 14 या 15 जनवरी जानिए सही तिथि, स्नान दान का शुभ मुहूर्त और जानेगे मकरसंक्रांति क्यो मनाई जाती है?
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मकर संक्रांति पूजा विधि Makar Sankranti 2025 Puja Vidhi
मकर संक्रांति के दिन सर्योदय से पहले उठकर दैनिक क्रिया से निपटकर किसी पवित्र नदी तालाब या पोखर में जाकर स्नान करें। यदि ऐसा करना सम्भव नही है तो घर पर ही पानी मे गंगाजल मिलाकर स्नान करके सूर्य देव को जल का अर्घ्य दे। और ऊं सूर्याय नमः मंत्र का जाप करे। मकरसंक्रांति के दिन पानी में काला तिल और गंगाजल मिला कर स्नान करने से कुडली के ग्रहदोष दूर होते हैं। इसके बाद भगवान सर्यदेव की पूजा करने के बाद तिल, उड़द दाल, चावल, गुड़़, धन अदि का किसी ब्राह्मण को दान करना चाहिए साथ ही इस दिन भगवान को तिल और खिचड़ी का भोग लगाना शुभ होता है।
मकर संक्रांति से जुड़ी कुछ पौराणिक कथा Some Mythological Stories Related to Makar Sankranti
▪️मकर संक्रांति के दिन ही भगवान विष्णु जी के अंगूठे से निकली देवी गंगा जी भागीरथी के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थी।
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▪️महाभारत काल के दौरान भी जब भीष्मपितामह ने ऐसी दिन को चुना था। और ऐसी दिन माता यशोदा ने भी भगवान श्रीकृष्ण को पाने के लिए व्रत भी किया था।
जानें किस राज्य में इस त्योहार को क्या कहते है? और कैसे मनाते हैं?
मकर संक्रांति के पर्व को विभिन्न राज्यो में अलग-अलग नामो से जाना व मनाया जाता है। जैसे – उत्तर प्रदेश में मकर संक्रांति को खिचड़ी पर्व कहा जाता है। इस दिन भगवान सूर्यदेव की पूजा की जाती है। और चावल दान की किछड़ी बनाकर खाई, खिलाई व दान की जाती है। और गुजरात राजस्थान में मकरसंक्रांति पर्व को उत्तरायनपर्व के रूप में जनाव मनाया जाता है। इस दिन दोनो ही राज्यो में बड़े ही धूम धाम के साथ पतंग उत्सव का आयोजन भी किया जाता है। और आंध्रप्रदेश में संक्रांति नाम से तीन दिन का पर्व मनाया जाता है। तो वही तमिलनाडु में खेती किसानी के प्रमुख पर्व के रूप में मकरसंक्रांति पर्व को पोंगल पर्व के नाम से मनाया जाता है। इस दिन घी में चावल दाल की किछड़ी पकाई व खिलाई जाती है। महाराष्ट्र में भी इस पर्व को मकरसंक्रांति पर्व रूप मनाया जाता है।
यहां लोग गजक और टिल के लड्डू बनाकर खाते और खिलाते और दान करते है। और एक दूसरे को भेट देकर शुभ कामनाएं देते है। तो वही पश्चिम बंगाल में मकरसंक्रांति के दिन हुगली नदी पर गंगा सागर मेले का आयोजन भी किया जाता है। तो असम में ऐसे भुगली बिहू के नाम से भी जाना व मनाया जाता है।
मकरसंक्रांति पूजा 2025 शुभ मुहूर्त Makar Sankranti 2025 Date Time
अब आइये जानते है साल 2025 में मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी दिन मंगलवार के दिन मनाया जाएगा।
मकर संक्रान्ति का क्षण रहेगा – 14 जनवरी 2025 को रात्रि 09 बजकर 03 मिनट पर
पुण्यकाल का शुभ मुहर्त होगा – 14 जनवरी 2025 को प्रातःकाल 09 बजकर 30 मिनट से सायंकाल 05 बजकर 46 मिनट तक रहेगा।
महापुण्य काल का शुभ मुहूर्त होगा – 14 जनवरी 2025 को प्रातःकाल 09 बजकर 03 मिनट से लेकर प्रातःकाल 10 बजकर 48 मिनट तक रहेगा।
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