Paush Purnima 2025: हिन्दू धर्म में पर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता के अनुसार पौष माह की पर्णिमा के दिन स्नान, दान और जप-तप करने के लिए विशेष महत्वपूर्ण मानी जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से सभी पाप नष्ट हो जाते है। हिन्दू पंचांग के अनुसार इस दिन से माघ मास का स्नान शुरू हो जाता है। माना जाता है कि पूर्णिमा की रात चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण रहता है। इसलिए पौष पूर्णिमा के दिन किया जाने वाला उपाय बेहद फलदायी माना जाता है। हिन्दी पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष पौष माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन पौष पूर्णिमा मनाई जाती है। जिसे शांकभरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना है।
ऐसी मान्यता है कि पूर्णिमा की तिथि चंद्रमा को अति प्रिय होती है। और इस दिन चंद्रमा अपने पूर्ण आकार में होता है। इसलिए हिन्दू धर्म में पौष पूर्णिमा के दिन दान, स्नान और भगवान सूर्य देव को अर्घ्य देने का विशेष महत्व बतलाया गया है। ऐसा माना जाता है कि पौष मास में किए जाने वाले धार्मिक कार्य पूर्णता पूर्णिमा पर स्नान करने से मनुष्य का जीवन सार्थक होता है। पौष पूर्णिमा के दिन काशी, प्रयागराज और हरिद्वार में गंगा स्नान का बड़ा महत्व होता है।
ऐसी मान्यता है कि पौष का महीना भगवान सूर्य देव का महीना कहलाता है। इस लिए पौष के महीने में भगवान सूर्य देव की आराधना करने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। और जीवन आने वाली सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती है। इसलिए पौष पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान और सूर्य देव को अर्घ्य देने की परंपरा है। चूंकि पौष का महीना सूर्य देव का माह है और पूर्णिमा चंद्रमा की तिथि है। अतः सूर्य और चंद्रमा का यह अद्भूत संगम पौष पूर्णिमा की तिथि को ही होता है। इसलिए इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों का पूजन करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है और जीवन में आने वाली सभी बाधाएं दूर होती है।
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आइए जानते है साल 2025 में पौष पूर्णिमा व्रत कब है? 13 या 14 जनवरी, जानिए पूजा की सही तिथि, पूजा विधि और इस दीन किये जाने वाला उपाय-
पौष पूर्णिमा 2025 पूजा विधि
पौष पूर्णिमा के दिन इस दिन प्रात:काल जल्दी उठकर दैनिक क्रिया करके किसी भी पवित्र नदी जलाशय, कुआ, बावड़ी या फिर घर पर ही गंगाजल मिले जल से स्नान करे और व्रत का संकल्प लेकर भगवान सूर्यदेव को लाल पुष्प डालकर जल का अर्य दे। इसके बाद घर के मंदिर में भगवान विष्ण और माता लक्ष्मी जी की प्रतिमा स्थापित करके धूप दीप जलाये और उन्हें नेवेद्य, फल- फूल आदि अर्पित करे। और पूर्णिमा के दीन भगवान सत्यनारायण की कथा पढ़े या कथा सुने। इसके बाद माता लक्ष्मी भगवान विष्णु जी की आरती करें। और रात्रि में चंद्रमा को अर्य देकर व्रत का पारण करे। इसके बाद किसी जरुरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन कराकर तिल, गुड़, कंबल और ऊनी वस्त्र आदि का दान करे।
पौष पूर्णिमा के दिन 5 उपाय जरूर करे
धार्मिक मान्यता के अनुसार पौष पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी जैसे – काशी, प्रयागराज और हरिद्वार में गंगा स्नान करने के बाद कुछ ऐसे विशेष कार्य है जिसे जरूर करना चाहिए। जो लोग ऐसा करते है उनके जीवन सफलता प्राप्त होती है जैसे –
- धार्मिक मान्यता के अनुसार पौष पूर्णिमा की रात में माता लक्ष्मी को सफ़ेद चावलों से बनी खीर का भोग लगाने से आरोग्य की प्राप्ति होती है। इसके अलावा पौष पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी पूर्ण आकृति में होता है इसीलिए इस दिन चन्द्रमा की पूजा करके उन्हें अर्घ्य देने से चंद्रमा की वजह कृपा प्राप्त होती है।
- पौष पूर्णिमा भगवान सूर्य देव का दिन माना जाता है इसलिए आज के दिन स्नान, दान, जप और व्रत करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- पौष पूर्णिमा की रात में माता लक्ष्मी के समीप घी का दीपक जलाकर गुलाब के फूलों की माला अर्पित करे। इसके बाद माता लक्ष्मी की आरती करते हुए “ऊँ हीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद महालक्ष्मी आये नमः” मन्त्र का कम से कम 108 बार जाप करने पर सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।
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- पौष पूर्णिमा के दिन पीपल के पेड़ में माता लक्ष्मी का वास होता है। इसलिए आज के सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके पीपल के पेड़ की पूजा करके मीठी वस्तु अर्पित करे। और शाम के समय पीपल के पेड़ पास दीपक जलाएं। ऐसा करने से धन लाभ, व्यपार में वृद्धि होती है।
- पौष पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी की पूजा आराधना करने बाद माता लक्ष्मी को 11 पीले रंग की कौड़ियां चढ़ाने केके बाद पीले रंग के कपड़े में बांधकर तिजोरी में रखने से माता लक्ष्मी हमेशा प्रसन्न रहती है।
पौष पूर्णिमा के दिन भूलकर भी ना करे ये गलतियां
- पौष पूर्णिमा के दिन भुलकर भी तामसिक भोजन जैसे- मांस, मछली, मदिरापान का सेवन ना करे। और भोजन में लहसुन, प्याज का इस्तेमाल ना करे।
- पौष पूर्णिमा के दिन भूलकर भी घर परिवार लड़ाई झगड़ा ना करे और ना ही अपने से बड़े लोगो का अपमान करे और नाही कटुवचन का प्रयोग करे। और घर और शरीर को गंदा न रखें। बल्कि पौष पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनाराण की पूजा जरूर करें।
पौष पूर्णिमा 2025 पूजा शुभ मुहूर्त
अब आप को बतादे की साल 2025 में पौष पूर्णिमा 13 जनवरी दिन सोमवार को मनाई जाएगी।
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ होगी – 13 जनवरी 2025 को सुबह 05 बजकर 05 मिनट पर
पूर्णिमा तिथि समाप्त होगी – 14 जनवरी 2025 को रात्रि 03 बजकर 59 मिनट पर