Shattila Ekadashi 2026: हिन्दू धर्म मे एकादशी व्रत का विशेष महत्व होता है। लेकिन माघ मास में आने वाली षटतिला एकादशी व्रत का विशेष पुण्य माना जाता है। हिंदी पंचांग के अनुसार हर साल माघ मास के कृष्णपक्ष की एकादशी तिथि के दिन षटतिला एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की आराधना की जाती है। षटतिला एकादशी के दिन तिल से स्नान करना, तिल का उबटन लगाना, तिल से हवन करना, तिल से तर्पण करना, तिल का भोजन करना, और तिलों का दान करने से सीधे स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है।
धार्मिक मान्यता है कि षटतिला एकादशी का व्रत करने से हजारों वर्ष की तपस्या से भी अधिक फल की प्राप्ति होती है। साथ ही जो भी इस दिन तिल का छह तरह से उपयोग करता है उसे कभी धन की कमी नहीं होती। इस दिन भगवन विष्णु जी का तिल से पूजन करने पर सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। आइये जानते है साल 2026 में माघ मास की षटतिला एकादशी कब है? 13 या 14 जनवरी, जानिए व्रत की सही तिथि, पूजा का शुभ मुहूत, पूजा विधि, और इस व्रत में किये जाने वाले कुछ जरूरी नियम –
षटतिला एकादशी 2026 शुभ मुहूर्त Shattila Ekadashi 2026 Date Time
साल 2026 में माघ मास में आने वाली षटतिला एकादशी तिथि प्रारम्भ होगी 13 जनवरी 2026 को दोपहर 03 बजकर 17 मिनट पर और इस तिथि का समापन होगा 14 जनवरी 2025 को शाम 05 बजकर 52 मिनट पर होगा इसलिए साल 2026 में षटतिला एकादशी 14 जनवरी दिन बुधवार को मनाई जाएगी।
षटतिला एकादशी पूजा विधि Shattila Ekadashi 2026 Puja Vidhi
षटतिला एकादशी व्रत के दिन व्रती को सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवित्र होकर भगवान सूर्यदेव को जल का अर्घ दे इसके बाद साफ व शुद्ध वस्त्र धारण करे। इसके बाद पूजा घर को अच्छे से साफ सफाई करके एक लकड़ी की चौकी पर लाल या पिला वस्त्र विछाकर उसपर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति या फ़ोटो स्थापित करे। सबसे पहले भगवान विष्णु प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराएं और फिर चंदन से उनका तिलक करते हुए विष्णु मंत्रो का जाप करे।
इसके बाद भगवान विष्णु जी की पूजा में धूप, दीप, नैवेद्य, तुलसी का पत्ता, पीले फल फूल व तिल आदि अर्पित करे। और पूजा के अंत में एकादशी व्रत कथा का पाठ कर आरती करे और फिर द्वादशी के दिन पुन भगवान विष्णु की पूजा कर ब्राह्मण को भोजन व क्षमता अनुसार दान देकर व्रत का पारण करना चाहिए।
एकादशी व्रत में क्या करे क्या नही ? Ekadashi Vrat Upay
▪️धार्मिक मान्यता के अनुसार षटतिला एकादशी के दिन पूजा में किसी न किसी रूप में तिल का प्रयोग जरूर करना चाहिए। और सात्विक भोजन करना चाहिए। लेकिन एकादशी व्रत में भुलकर भी तामसिक भोजन जैसे मांस, मछली, अंडा, लहसून, प्याज नही खाना चाहिए। इसके अलावा अपने सामर्थ्य के अनुसार षटतिला एकादशी के गरीब ब्राम्हण को दान दक्षिणा जरूर देना चाहिए।
▪️षटतिला एकादशी के दिन भूलकर भी चावल का सेवन नहीं करना चाहिए। और इस दिन तुलसी का पत्ता भुलकर भी नही तोड़ना चाहिए। ऐसा करना अशुभ माना जाता है। षटतिला एकादशी व्रत के दिन भूलकर भी बाल, नाखून और दाढ़ी- मूछ नहीं कटवाना चाहिए। और नाही एकादशी व्रत के दीन भुलकर भी मसूर की दान नही खाना चाहिए। और मौसमी सब्जियों में बंद गोभी, शलजम, मूली,पालक आदि का सेवन नही करना चाहिए।
▪️ऐसी मान्यता है कि षटतिला एकादशी के दिन पितरो को तिल का तर्पण करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। और इसके अलावा यदि षटतिला एकादशी के दिन सभी देवताओं का पूजा पाठ भजन कीर्तन करने से देव देवता अति प्रसन्न होते है।
▪️धार्मिक मान्यता है की षटतिला एकादशी व्रत के दिन तिल और अन्य उपयोगी चीजो का दान पुण्य करने से सभी देवी देवता प्रसन्न होते है। सुख समृद्धि का आशीर्वाद देते है।