Valmiki Jayanti 2024: जाने कब है वाल्मीकि जयंती 2024 वाल्मीकि जयंती पूजा विधि व महत्व

महर्षि वाल्मीकि जयंती का महत्व

Valmiki Jayanti 2024: मित्रो वाल्मीकि जयंती का हिन्दू धर्म मे विशेष महत्व माना जाता है। हिंदी पंचांग के अनुसार वाल्मीकि जयंती हर साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। और महर्षि वाल्मीकि जयंती को प्रकट दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।

धार्मिक मान्यता है कि आज के दिन ही महर्षि वाल्मीकि जी का जन्म हुआ था। और आज के दिन ही शरद पूर्णिमा भी मनाई जाती भी। महर्षि वाल्मीकि जयंती के दिन सभी भक्तगड़ मंदिरों की साफ सफाई करते है। और मंदिरों को फूलों से सजाते है। तो बहुत सी जगहों पर भगवान कीर्तन करते है। तो बहुत सी जगहों पर रात्रि जागरण करते हुए रामायण का पाठ राम रक्षा श्लोक भी पड़ते है।

और महर्षि वाल्मीकि जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए उन्हें याद किया जाता है। और जगत के कल्याण के लिए इस दिन महर्षि वाल्मीकि जी का पूजा अर्चना करते है। और आज के दिन किसी भी पवित्र नदियों में जाकर पवित्र स्नान करते है। और व्रत रहते हुए किसी भी गरीब ब्राह्मण और किसी भी जरूरत मंद लोगो को भोजन कराना व उन्हें दान दक्षिणा देते है। वाल्मीकि जयंती के दिन दान दक्षिणा देना शुभ माना जाता है।

ऐसी मान्यता है कि वाल्मीकि जयंती के दिन दान-पुण्य करने का भी विशेष महत्व होता है। वाल्मीकि जयंती के दिन बहुत सी जगहों पर भजन कीर्तन का आयोजन किया जाता है और जगह-जगह पर महर्षि वाल्मीकि जी की पूरे हर्सोल्लास के साथ शोभायात्रा भी निकाली जाती है।

धार्मिक मान्यता के अनुसार महर्षि वाल्मीकि जी संस्कृत के प्रथम कवि थे। इन्होंने रामायण जैसी महाकाव्य की रचना संस्कृत में की थी। इसलिए इन्हें संस्कृत का आदि कवि भी कहा जाता है।

आइये जानते है साल 2024 में महर्षि वाल्मीकि जयंती कब है? 16 या 17 अक्टूबर, जाने पूजा करने की पूजा विधि क्या हैं, पूजा करने का शुभ मुहूर्त कब है, और पुर्णिमा तिथि कब शुरू होगी और कब समाप्त होगी

महर्षि वाल्मीकि जयंती पूजा विधि

Valmiki Jayanti 2024 Puja Vidhi: मित्रो अब पूजा करने की विद्बी को भी जान लेते है जो इस प्रकार है।

  • महर्षि वाल्मीकि जयंती के दिन सभी भक्तगड़ सुबह जल्दी उठकर किसी भी पवित्र गंगा नदी में जाकर स्नान करते हैं।
  • यदि आप के आस-पास गंगा नदी नही है। तो किसी भी तालाब या बावड़ी में जाकर स्नान कर सकते है।
  • यदि सम्भव हो सके तो नहाने के पानी मे गंगा जल मिलाकर स्नान-ध्यान कर सकते है।
  • और स्नान आदि करने के बाद नया कपड़ा या स्वच्छ कपड़े पहन ले।
  • इसके बाद भगवान सूर्य देव को जल का अर्घ दें।
  • फिर पूजा स्थल पर नमन करते हुए अपने सभी इष्ट देवताओं का स्मरण करें।
  • और उनकी पूरे विधि विधान के साथ पूजा करें।

महर्षि वाल्मीकि कौन थे ?

महर्षि वाल्मीकि एक महान कवि थे इन्होंने सस्कृत भाषा मे रामायण जैसी महाकाब्य की रचना की थी। जिसमे भगवान श्रीराम जी के सम्पूर्ण जीवन शैली को दर्षाया है। पौराणिक मान्यता के अनुसार महर्षि वाल्मीकि का जन्म महर्षि कश्यप और अदिति के नौवां पुत्र वरुण यानी कि आदित्य से हुआ था। इनकी माता का नाम चर्षडी था। लेकिन इसका कोई पुख्ता सबूत नही मिला है।

लेकिन धार्मिक मान्यता के अनुसार जब महर्षि वाल्मीकि पैदा हुए तब आदिवासी महिला भीलनी इनको चुरा ले गयी और इनका लालन पोषण करने लगी जब महर्षि वाल्मीकि बड़े हुए तो ज्ञान के आभाव के कारण जंगलो मे आजे जाते मुसाफिरों को लुटने लगे अचानक एक दिन महर्षि नारद जी उसी जंगल से जा रहे थे तभी महर्षि वाल्मीकि से मुलाकात होती है।

तब नारद मुनि ने पूछा कौन हो तुम इन जंगलो में आते जाते मुसाफिरों को क्यों लुटपात करते हो तब महर्षि वाल्मीकि ने कहा मेरा नाम डाकू रत्नाकर है मै राहगिरो को लुट कर अपने परिवार का भरण पोषण करता हु तब नारद जी ने कहा की ऐसा मत करो जो तुम करते हो इस काम से तुम्हारे घर वाले भी बहुत दुखी होगे तब वाल्मीकि जी ने कहा नहीं मेरा परिवार मुझसे बहुत खुश रहता है।

तब नारद जी ने कहा तुम घर जाओ और पूछो तुम्हारे एस काम से कौन-कौन खुश है वाल्मीकि जी ने परिवार में सभी से पूछा सभी ने एक ही जबाब दिया ऐसा करना उचित नहीं है तुम पाप के भागी हो जो जैसा करता है वैसा ही फल मिलता है परिवार वालो की ऐसी बात सुनकर महर्षि वाल्मीकि का दिल टूट गया और वह भागते भागते नारद जी के पास आये पैरो में गिर कर छमा याचना करने लगे।

और इसका उपाय पूछने लगे तब नाद जी ने बताया की घर परिवार की मोह माया छोड़ कर भगवन का ध्यान करो तुम्हारा कल्याण होगा तभी से महर्षि वाल्मीकि लुट पात छोड़कर कर भगवान राम का भजन कीर्तन करने लगे और आगे चलकर सदा के लिए अपने अन्दर से डाकू रत्नाकर को मार दिया और महर्षि वाल्मीकि नाम से प्रसिध्द हो गए और उंहोने प्रसिद्ध महाकाव्य रामायण की रचना की

वाल्मीकि जयंती पूजा शुभ मुहूर्त

मित्रो पूजा करने का शुभ मुहूर्त को भी जान लेते है जो इस प्रकार है।

  • अब आप को बतादे की हिंदी पंचांग के अनुसार साल 2024 में महर्षि वाल्मीकि जयंती 17 अक्टूबर दिन गुरुवार को मनाई जाएगी।
  • आश्विन पूर्णिमा तिथि प्रारंभ होगी -16 अक्टूबर 2024 को रात 08 बजकर 45 मिनट पर और
  • आश्विन पूर्णिमा तिथि समाप्त होगी -17 अक्टूबर 2024 को शाम 04 बजकर 50 मिनट पर
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